चित्रकूट के घाट-घाट पर, शबरी देखे बाट - भजन दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।। राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। Therefore whenever you acquire a product on Amazon from a backlink on https://shivchalisas.com